चमगादड़ से निकला 'मौत का वायरस निपाह', इससे बचने का ये है एकमात्र तरीका - Top hindi breaking news,Hindi news,Breaking hindi news

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Monday, May 21, 2018

चमगादड़ से निकला 'मौत का वायरस निपाह', इससे बचने का ये है एकमात्र तरीका

केरल के कोझीकोड में एक मौत का वायरस मिला है. इस अज्ञात इन्फेक्शन के चलते हाई अलर्ट घोषित किया गया है. केरल में हुई रहस्यमयी मौतों का कारण 'निपाह वायरस (NiV)' को बताया गया है.

नई दिल्ली: केरल के कोझीकोड में एक मौत का वायरस मिला है. इस अज्ञात इन्फेक्शन के चलते हाई अलर्ट घोषित किया गया है. केरल में हुई रहस्यमयी मौतों का कारण 'निपाह वायरस (NiV)' को बताया गया है. अभी तक 11 लोग इसकी चपेट में आकर जान गंवा चुके हैं. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे ने निपाह वायरस की पुष्टि की है. तीन नमूनों की जांच के बाद यह पुष्टि की गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने निपाह को एक उभरती बीमारी करार दिया है और कहा है कि यह एक महामारी की तरह फैल सकता है. निपाह वायरस (NiV) पहली बार 1998 में मलेशिया और सिंगापुर में पहचाना गया, जब यह सुअरों और मनुष्यों में बीमारी का कारण बना. 
क्‍या होता है निपाह वायरस (NiV)
निपाह वायरस, मनुष्‍यों और जानवरों में फैलने वाला एक गंभीर इंफेक्‍शन है. यह वायरस एन्सेफलाइटिस का कारण बनता है. निपाह वायरस, हेंड्रा वायरस से संबंधित है, जो घोड़ों और मनुष्यों के वायरल सांस संक्रमण से संबन्‍धित होता है. यह इंफेक्‍शन फ्रूट बैट्स के जरिए लोगों में फैलता है. खजूर की खेती करने वाले लोग इस इंफेक्‍शन की चपेट में जल्‍दी आते हैं. 2004 में इस वायरस की वजह से बांग्लादेश में काफी लोग प्रभावित हुए थे. 
चमगादड़ की नस्ल में मिलता है निपाह
WHO के मुताबिक, निपाह वायरस चमगादड़ की एक नस्ल में पाया जाता है. यह वायरस उनमें प्राकृतिक रूप से मौजूद होता है. चमगादड़ जिस फल को खाती है, उनके अपशिष्ट जैसी चीजों के संपर्क में आने पर यह वायरस किसी भी अन्य जीव या इंसान को प्रभावित कर सकता है. ऐसा होने पर ये जानलेवा बीमारी का रूप ले लेता है.
निपाह वायरस (NiV) के लक्षण
मनुष्‍यों में निपाह वायरस, encephalitis से जुड़ा हुआ है, जिसकी वजह से ब्रेन में सूजन आ जाती है. बुखार, सिरदर्द, चक्‍कर, मानसिक भ्रम, कोमा और आखिर में मौत, इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं. 24-28 घंटे में यदि लक्षण बढ़ जाए तो इंसान को कोमा में जाना पड़ सकता है. कुछ केस में रोगी को सांस संबंधित समस्‍या का भी सामना करना पड़ सकता है. 
निपाह वायरस का एकमात्र इलाज
मनुष्यों में, निपाह वायरस ठीक करने का एकमात्र तरीका है सही देखभाल. मरीज की देखभाल वायरस से ठीक करने का एकमात्र तरीका है. रिबावायरिन नामक दवाई वायरस के खिलाफ प्रभावी साबित हुई है. हालांकि, रिबावायरिन की नैदानिक प्रभावकारिता मानव परीक्षणों में आज तक अनिश्चित है. दुर्भाग्यवश, मनुष्यों या जानवरों के लिए कोई विशिष्ट एनआईवी उपचार या टीका नहीं है. इस वायरस से बचने के लिए फलों, खासकर खजूर खाने से बचना चाहिए. पेड़ से गिरे फलों को नहीं खाना चाहिए. यह वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है. संक्रमित जानवर खासकर सुअर को हमेशा अपने से दूर रखें.
कैसे निपाह वायरस से खुद को बचाएं
निपाह वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है. इसे रोकने के लिए संक्रमित रोगी से दूरी बनाए रखें. स्वास्थ्य कर्मियों को अस्पताल में निपाह वायरस से बचने के लिए संक्रमित मरीजों की देखभाल करते समय या प्रयोगशाला के नमूनों को संभालने और जमा करते समय उचित सावधानी बरतनी चाहिए.


नई दिल्ली: केरल के कोझीकोड में एक मौत का वायरस मिला है. इस अज्ञात इन्फेक्शन के चलते हाई अलर्ट घोषित किया गया है. केरल में हुई रहस्यमयी मौतों का कारण 'निपाह वायरस (NiV)' को बताया गया है. अभी तक 11 लोग इसकी चपेट में आकर जान गंवा चुके हैं. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे ने निपाह वायरस की पुष्टि की है. तीन नमूनों की जांच के बाद यह पुष्टि की गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने निपाह को एक उभरती बीमारी करार दिया है और कहा है कि यह एक महामारी की तरह फैल सकता है. निपाह वायरस (NiV) पहली बार 1998 में मलेशिया और सिंगापुर में पहचाना गया, जब यह सुअरों और मनुष्यों में बीमारी का कारण बना. 

क्‍या होता है निपाह वायरस (NiV)
निपाह वायरस, मनुष्‍यों और जानवरों में फैलने वाला एक गंभीर इंफेक्‍शन है. यह वायरस एन्सेफलाइटिस का कारण बनता है. निपाह वायरस, हेंड्रा वायरस से संबंधित है, जो घोड़ों और मनुष्यों के वायरल सांस संक्रमण से संबन्‍धित होता है. यह इंफेक्‍शन फ्रूट बैट्स के जरिए लोगों में फैलता है. खजूर की खेती करने वाले लोग इस इंफेक्‍शन की चपेट में जल्‍दी आते हैं. 2004 में इस वायरस की वजह से बांग्लादेश में काफी लोग प्रभावित हुए थे. 


चमगादड़ की नस्ल में मिलता है निपाह
WHO के मुताबिक, निपाह वायरस चमगादड़ की एक नस्ल में पाया जाता है. यह वायरस उनमें प्राकृतिक रूप से मौजूद होता है. चमगादड़ जिस फल को खाती है, उनके अपशिष्ट जैसी चीजों के संपर्क में आने पर यह वायरस किसी भी अन्य जीव या इंसान को प्रभावित कर सकता है. ऐसा होने पर ये जानलेवा बीमारी का रूप ले लेता है.


निपाह वायरस (NiV) के लक्षण
मनुष्‍यों में निपाह वायरस, encephalitis से जुड़ा हुआ है, जिसकी वजह से ब्रेन में सूजन आ जाती है. बुखार, सिरदर्द, चक्‍कर, मानसिक भ्रम, कोमा और आखिर में मौत, इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं. 24-28 घंटे में यदि लक्षण बढ़ जाए तो इंसान को कोमा में जाना पड़ सकता है. कुछ केस में रोगी को सांस संबंधित समस्‍या का भी सामना करना पड़ सकता है. 

निपाह वायरस का एकमात्र इलाज
मनुष्यों में, निपाह वायरस ठीक करने का एकमात्र तरीका है सही देखभाल. मरीज की देखभाल वायरस से ठीक करने का एकमात्र तरीका है. रिबावायरिन नामक दवाई वायरस के खिलाफ प्रभावी साबित हुई है. हालांकि, रिबावायरिन की नैदानिक प्रभावकारिता मानव परीक्षणों में आज तक अनिश्चित है. दुर्भाग्यवश, मनुष्यों या जानवरों के लिए कोई विशिष्ट एनआईवी उपचार या टीका नहीं है. इस वायरस से बचने के लिए फलों, खासकर खजूर खाने से बचना चाहिए. पेड़ से गिरे फलों को नहीं खाना चाहिए. यह वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है. संक्रमित जानवर खासकर सुअर को हमेशा अपने से दूर रखें.


कैसे निपाह वायरस से खुद को बचाएं
निपाह वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है. इसे रोकने के लिए संक्रमित रोगी से दूरी बनाए रखें. स्वास्थ्य कर्मियों को अस्पताल में निपाह वायरस से बचने के लिए संक्रमित मरीजों की देखभाल करते समय या प्रयोगशाला के नमूनों को संभालने और जमा करते समय उचित सावधानी बरतनी चाहिए.






नई दिल्ली: केरल के कोझीकोड में एक मौत का वायरस मिला है. इस अज्ञात इन्फेक्शन के चलते हाई अलर्ट घोषित किया गया है. केरल में हुई रहस्यमयी मौतों का कारण 'निपाह वायरस (NiV)' को बताया गया है. अभी तक 11 लोग इसकी चपेट में आकर जान गंवा चुके हैं. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे ने निपाह वायरस की पुष्टि की है. तीन नमूनों की जांच के बाद यह पुष्टि की गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने निपाह को एक उभरती बीमारी करार दिया है और कहा है कि यह एक महामारी की तरह फैल सकता है. निपाह वायरस (NiV) पहली बार 1998 में मलेशिया और सिंगापुर में पहचाना गया, जब यह सुअरों और मनुष्यों में बीमारी का कारण बना. 

क्‍या होता है निपाह वायरस (NiV)
निपाह वायरस, मनुष्‍यों और जानवरों में फैलने वाला एक गंभीर इंफेक्‍शन है. यह वायरस एन्सेफलाइटिस का कारण बनता है. निपाह वायरस, हेंड्रा वायरस से संबंधित है, जो घोड़ों और मनुष्यों के वायरल सांस संक्रमण से संबन्‍धित होता है. यह इंफेक्‍शन फ्रूट बैट्स के जरिए लोगों में फैलता है. खजूर की खेती करने वाले लोग इस इंफेक्‍शन की चपेट में जल्‍दी आते हैं. 2004 में इस वायरस की वजह से बांग्लादेश में काफी लोग प्रभावित हुए थे. 


चमगादड़ की नस्ल में मिलता है निपाह
WHO के मुताबिक, निपाह वायरस चमगादड़ की एक नस्ल में पाया जाता है. यह वायरस उनमें प्राकृतिक रूप से मौजूद होता है. चमगादड़ जिस फल को खाती है, उनके अपशिष्ट जैसी चीजों के संपर्क में आने पर यह वायरस किसी भी अन्य जीव या इंसान को प्रभावित कर सकता है. ऐसा होने पर ये जानलेवा बीमारी का रूप ले लेता है.


निपाह वायरस (NiV) के लक्षण
मनुष्‍यों में निपाह वायरस, encephalitis से जुड़ा हुआ है, जिसकी वजह से ब्रेन में सूजन आ जाती है. बुखार, सिरदर्द, चक्‍कर, मानसिक भ्रम, कोमा और आखिर में मौत, इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं. 24-28 घंटे में यदि लक्षण बढ़ जाए तो इंसान को कोमा में जाना पड़ सकता है. कुछ केस में रोगी को सांस संबंधित समस्‍या का भी सामना करना पड़ सकता है. 

निपाह वायरस का एकमात्र इलाज
मनुष्यों में, निपाह वायरस ठीक करने का एकमात्र तरीका है सही देखभाल. मरीज की देखभाल वायरस से ठीक करने का एकमात्र तरीका है. रिबावायरिन नामक दवाई वायरस के खिलाफ प्रभावी साबित हुई है. हालांकि, रिबावायरिन की नैदानिक प्रभावकारिता मानव परीक्षणों में आज तक अनिश्चित है. दुर्भाग्यवश, मनुष्यों या जानवरों के लिए कोई विशिष्ट एनआईवी उपचार या टीका नहीं है. इस वायरस से बचने के लिए फलों, खासकर खजूर खाने से बचना चाहिए. पेड़ से गिरे फलों को नहीं खाना चाहिए. यह वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है. संक्रमित जानवर खासकर सुअर को हमेशा अपने से दूर रखें.


कैसे निपाह वायरस से खुद को बचाएं
निपाह वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है. इसे रोकने के लिए संक्रमित रोगी से दूरी बनाए रखें. स्वास्थ्य कर्मियों को अस्पताल में निपाह वायरस से बचने के लिए संक्रमित मरीजों की देखभाल करते समय या प्रयोगशाला के नमूनों को संभालने और जमा करते समय उचित सावधानी बरतनी चाहिए.

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